रांची में जन्मे और बिहार के औरंगाबाद के एक गांव में पले-बढ़े। बचपन में ही आस-पड़ोस के शैतानी बच्चों का सरदार होने के कारण घर निकाला मिल गया और पहंुचा दिया गया एक बोर्डिंग स्कूल में। पर मन वहां भी नहीं रमा और जिद ने फिर से ला पटका गांव की गलियों में। दसवीं तक की पढ़ाई कई स्कूलों में घूमते-फिरते हुई। इसके बाद गंगा किनारे बसी नगरी पटना से बारहवीं तक की पढ़ाई करके यमुना तीरे पत्रकार बनने का ख्वाब संजोए पहुंच गए। निशाना सही जगह पर लगा और दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला पा गए। इसी दौरान जनसत्ता में इंटर्नशिप के दरम्यान से वहां लिखने का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह कई अखबारों और पत्रिकाओं तक पहुंच गया। आजकल भारतीय जनसंचार संस्थान में पत्रकारी सीख रहे हैं।
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